बचपन का सपना

कुछ तो बात है उन बचपन के सपनों की जब पता लगता है कि तुम उन्हें जल्दी मिलने वाले हो एक अलग ही इंसान बन जाते हो तुम ख़ुशी और घबराहट का चलता-फिरता नमूना लेकिन सिर्फ़ तुम्हें मालूम है उस काश को जीने में उन सारी लड़ाइयों के बादल हटने में उस सर्दी की धूप … Continue reading बचपन का सपना

तुम्हारी अहमियत

तुम्हारे जाने के बादजब उस रात अकेले सोयेतो पता चलाकि कितने अहम हो तुमऔर अब इन कुछ सालों के तजुर्बे मेंइतना तो पता चल ही गया हैकि किसी के लिए भीये अहमियत महसूस होनाकोई आम बात नहीं

सफ़र-ए-जिन्द़गी

इन रास्तों में अलग ही अपनापन सा लगता हैआज़ादी की एक अलग खुशबू-सी लगती हैइस शीशे की खिड़की पर सिर टिका केबीती हुई बातों को फिर से जी लेती हूंबिना किसी गिनती के और आने वाले पलों को अपने हिसाब से बुन लेती हूंअच्छी बुरी सब बातेंशायद, अच्छी से ज़्यादा बुरी बातेंजिनको सोच के डर … Continue reading सफ़र-ए-जिन्द़गी

तुम्हारा साथ

शायद इतना आगे आ गए है इस दौड़ में,कि वापस चलना मुश्किल हैअब यहीं बैठ जाएं तो अच्छा हैमेरे पैरों के घाव को तुम सहला देनाऔर, तुम्हारी टूटी हुई हिम्मत को मैं जोड़ दूंगी